लक्ष्मी जी की पूजा धन वृद्धि और शांति पाने के लिए की जाती है। जो लोग लक्ष्मी जी की पूजा करते हैं उन्हें धन सम्भान्धि हानि नहीं होती बल्कि धन का लाभ होता है। लक्ष्मी जी को पूजने का सबसे अच्छा तरीका Laxmi Chalisa है जिसके बारे मैं हम आज बात करेंगे।
Laxmi Chalisa एक मन मोहक चालीसा है जिसका पाठ करने से हमें बहुत सुकून मिलता है और हमारे पाप काम होते हैं। इसी लिए हमें लक्ष्मी चालीसा का पाठ करना चाहिए।
आइये Laxmi Chalisa Lyrics को हम आज अर्थ सहित समझते है।
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Laxmi Chalisa Lyrics In Hindi
|| दोहा ||
मातु लक्ष्मी करि कृपा करो हृदय में वास।
मनोकामना सिद्ध कर पुरवहु मेरी आस॥
॥ सोरठा॥
यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करुं।
सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदंबिका॥
॥ चौपाई ॥
सिन्धु सुता मैं सुमिरौ तोही। ज्ञान बुद्घि विघा दो मोही॥1॥
तुम समान नहिं कोई उपकारी। सब विधि पुरवहु आस हमारी॥2॥
जय जय जगत जननि जगदंबा सबकी तुम ही हो अवलंबा॥3॥
तुम ही हो सब घट घट वासी। विनती यही हमारी खासी॥4॥
जगजननी जय सिन्धु कुमारी। दीनन की तुम हो हितकारी॥5॥
विनवौं नित्य तुमहिं महारानी। कृपा करौ जग जननि भवानी॥6॥
केहि विधि स्तुति करौं तिहारी। सुधि लीजै अपराध बिसारी॥7॥
कृपा दृष्टि चितववो मम ओरी। जगजननी विनती सुन मोरी॥8॥
ज्ञान बुद्घि जय सुख की दाता। संकट हरो हमारी माता॥9॥
क्षीरसिन्धु जब विष्णु मथायो। चौदह रत्न सिन्धु में पायो॥10॥
चौदह रत्न में तुम सुखरासी। सेवा कियो प्रभु बनि दासी॥11॥
जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा। रुप बदल तहं सेवा कीन्हा॥12॥
स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा। लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा॥13॥
तब तुम प्रगट जनकपुर माहीं। सेवा कियो हृदय पुलकाहीं॥14॥
अपनाया तोहि अन्तर्यामी। विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी॥15॥
तुम सम प्रबल शक्ति नहीं आनी। कहं लौ महिमा कहौं बखानी॥16॥
मन क्रम वचन करै सेवकाई। मन इच्छित वांछित फल पाई॥17॥
तजि छल कपट और चतुराई। पूजहिं विविध भांति मनलाई॥18॥
और हाल मैं कहौं बुझाई। जो यह पाठ करै मन लाई॥19॥
ताको कोई कष्ट नोई। मन इच्छित पावै फल सोई॥20॥
त्राहि त्राहि जय दुःख निवारिणि। त्रिविध ताप भव बंधन हारिणी॥21॥
जो चालीसा पढ़ै पढ़ावै। ध्यान लगाकर सुनै सुनावै॥22॥
ताकौ कोई न रोग सतावै। पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै॥23॥
पुत्रहीन अरु संपति हीना। अन्ध बधिर कोढ़ी अति दीना॥24॥
विप्र बोलाय कै पाठ करावै। शंका दिल में कभी न लावै॥25॥
पाठ करावै दिन चालीसा। ता पर कृपा करैं गौरीसा॥26॥
सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै। कमी नहीं काहू की आवै॥27॥
बारह मास करै जो पूजा। तेहि सम धन्य और नहिं दूजा॥28॥
प्रतिदिन पाठ करै मन माही। उन सम कोइ जग में कहुं नाहीं॥29॥
बहुविधि क्या मैं करौं बड़ाई। लेय परीक्षा ध्यान लगाई॥30॥
करि विश्वास करै व्रत नेमा। होय सिद्घ उपजै उर प्रेमा॥31॥
जय जय जय लक्ष्मी भवानी। सब में व्यापित हो गुण खानी॥32॥
तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं। तुम सम कोउ दयालु कहुं नाहिं॥33॥
मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै। संकट काटि भक्ति मोहि दीजै॥34॥
भूल चूक करि क्षमा हमारी। दर्शन दजै दशा निहारी॥35॥
बिन दर्शन व्याकुल अधिकारी। तुमहि अछत दुःख सहते भारी॥36॥
नहिं मोहिं ज्ञान बुद्घि है तन में। सब जानत हो अपने मन में॥37॥
रुप चतुर्भुज करके धारण। कष्ट मोर अब करहु निवारण॥38॥
केहि प्रकार मैं करौं बड़ाई। ज्ञान बुद्घि मोहि नहिं अधिकाई॥39॥
॥ दोहा॥
त्राहि त्राहि दुख हारिणी, हरो वेगि सब त्रास।
जयति जयति जय लक्ष्मी, करो शत्रु को नाश॥1॥
रामदास धरि ध्यान नित, विनय करत कर जोर।
मातु लक्ष्मी दास पर, करहु दया की कोर॥2॥
Laxmi Chalisa Lyrics Meaning In Hindi
हे मां लक्ष्मी, कृपया मेरे हृदय में वास करें, मेरी मनोकामनाओं को पूरा करें और मेरी आशाएं साकार करें!
यह मेरी विनती है, मैं हाथ जोड़ता हूं और आपसे प्रार्थना करता हूं कि आप हर परिस्थिति में मेरे साथ रहें! हे जगदम्बा माँ, आपकी जय हो!
हे सागर पुत्री, मैं आपको याद करता हूं, मुझे ज्ञान, बुद्धि और शिक्षा का वरदान दें! आपसे भी उत्तम कोई सेवक नहीं है, हमारी सभी आकांक्षाएं पूरी हों, हे जगत जननी जगदम्बा, आपकी जय हो, आप ही सभी का सहारा बनती हैं, सभी का सहायक हैं! आप ही हर पल में विराजमान हो, यह हमारी खास विनती है! हे संसार को जन्म देने वाली सागर पुत्री, आप गरीबों का कल्याण करती हैं!
हे मां महारानी, हम रोज़ आपसे विनती करते हैं, हे जगत जननी भवानी, हमें अपनी कृपा करें! हम कैसे आपकी स्तुति करें, हे मां, हमारे पापों को माफ करके हमें शुद्धि दें! हे जगत जननी, मेरी विनती सुन लें, मुझ पर अपनी कृपा बरसाएं! आप ज्ञान, बुद्धि और सुख प्रदान करने वाली हैं, आपकी जय हो, हे मां, हमारे संकटों का हरण करें!
जब भगवान विष्णु ने दुध के सागर में मंथन करवाया तो चौदह रत्न प्राप्त हुए! हे सुखरासी, उनमें से एक आप थीं, जिन्होंने भगवान विष्णु की दासी बनकर सेवा की! जब भगवान विष्णु ने जहां भी जन्म लिया, अर्थात जब भगवान विष्णु ने अवतार लिया, आपने भी रूप बदलकर उनकी सेवा की! स्वयं भगवान विष्णु ने मानव रूप में जब अयोध्या में जन्म लिया!
तब आप भी जनकपुरी में प्रकट हुई और सेवा कर उनके निकट रही! अंतर्यामी भगवान विष्णु ने आपको अपनाया, पूरी दुनिया जानती है कि आप ही तीनों लोकों की स्वामिनी हैं! आपके समान कोई और शक्ति नहीं है। आपकी महिमा अकथ है! जो भी आपके भक्त हैं, वे आपके दर्शन के बिना बेचैन हैं। आपके साथ हर कठिनाई को सहन कर रहे हैं! हे मां, मैं आपकी कौन सी महिमा करूँ, मुझे ज्ञान और बुद्धि नहीं हैं, आप सर्वज्ञ हैं!
अब अपने चार हाथ धारण कर, मेरे कष्टों को दूर करें मां! मैं और क्या कहूं, जो भी इस चालीसा को मन लगाकर पढ़ता है! उसे किसी भी प्रकार का दुःख नहीं सताता, उसे धन और समृद्धि प्राप्त होती है! जो भी भगवान विष्णु को बुलाकर आपकी पूजा करवाता है और पूरे विश्वास के साथ पढ़वाता है, उसे किसी चीज की कमी महसूस नहीं होती!
चालीस दिनों तक पाठ करने से, हे मां लक्ष्मी, आप उसके ऊपर अपनी कृपा बरसाती हैं! चालीस दिनों तक आपका पाठ करने से वह सुख, समृद्धि, और धन्य हो जाता है। उसे कोई भी कष्ट नहीं सताता! जो बारह मास आपकी पूजा करता है, उसके समान धन्य और दूसरा कोई नहीं है! जो मन ही मन हर दिन आपका पाठ करता है, उसके समान भी संसार में कोई नहीं है!
हे मां, मैं आपकी क्या बड़ाई करूँ, आप अपने भक्तों की परीक्षा भी अच्छे से लेती हैं! जो भी पूर्ण श्रद्धा और नियम से आपके व्रत का पालन करता है, उसके हृदय में प्रेम उत्पन्न होता है और सभी कार्य सफल होते हैं! हे मां लक्ष्मी, हे मां भवानी, आपकी जय हो! आप सभी गुणों की खान हैं और सभी जगह विराजमान हैं! आपका तेज संसार में बहुत शक्तिशाली है, और आपके समान दयालु और कोई नहीं है!
हे मां, मुझ अनाथ के भी संकट का निवारण कर लीजिये। मेरे दुखों को हर कर, मुझे आपके भक्ति का वरदान दें! हे मां, अगर कोई भूल चूक हमसे हुई हो तो हमें क्षमा कर दें, और आपसे दर्शन देने का एक बार निहार लो मां! आपके भक्त आपके दर्शनों के बिना बेचैन हैं। आपके रहते हुए वह सभी कष्ट सहन कर रहे हैं! हे मां, आप जानती हैं कि मैं ज्ञान और बुद्धि से रहित हूं, और आप सर्वज्ञ हैं!
अब अपने चार हाथ रूप धारण कर, मेरे सभी कष्टों का हरण करो मां! मैं और क्या कह सकता हूं, जो भी यह Laxmi Chalisa मन लगाकर पढ़ता है! उसे किसी भी प्रकार का दुःख नहीं सताता, और उसकी मनवांछित फल प्राप्त होता है! हे दुखों का निवारण करने वाली मां लक्ष्मी, आपकी जय हो! जय हो! रामदास रोज़ हाथ जोड़कर आपका ध्यान धरते हैं और आपसे प्रार्थना करते हैं। हे मां लक्ष्मी, कृपया हमारे दास पर दया की नज़र रखें!